लुंगवा (lungwa) गांव जहाँ खाते भारत और सोते म्यामांर में है

lungwa village in India

भारत अपनी खूबसूरत जगहोंं के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, एक तरफ पूर्व के राज्य अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है तो पश्चिम के राज्य अपनी सभ्यता के लिए, दक्षिण में समुद्र अपनी ओर सभी को आकर्षित करता है वही उत्तर के पर्वतीय क्षेत्र अपनी सुंदरता के लिए जाने जाते है लेकिन भारत में एक भी जगह है जिसके लिए वो प्रसिद्ध है और वह जगह है नागालेंड में लुंगवा (Lungwa) अब आप सोच रहे है यह जगह क्यों मशहूर है तो दोस्तों आपको यह बात सुनकर हैरानी होगी कि इस जगह के लोग खाते भारत में है और सोने के लिए दूसरे देश (म्यांमार ) जाते है। तो आइये इस लेख के द्वारा इस रोचक जानकारी को पढ़ते है।

कहाँ है लुंगवा (lungwa)?

भारत के नागालैंड राज्य में मोन जिले में एक गांव जिसका नाम लुंगवा (lungwa) है, यह गांव भारत और म्यांमार अंतराष्ट्रीय सीमा के मध्य में स्थित है, यह एक पर्वतीय क्षेत्र है जिसके कारण यहाँ के लोग अभी अत्याधुनिक सुविधाओं का लाभ उठाने से काफी दूर है।

क्यों यहाँ के लोग खाते भारत में और सोने म्यांमार जाते है

लुंगवा (Lungwa) गांव भारत और म्यांमार अंतराष्ट्रीय सीमा के मध्य में है जिसकी वजह से इस गांव के कुछ घर सीमा रेखा के बीच में पड़ते है, इन घरों में रसोई भारत सीमा के अंदर आती है तो वही सोने के लिए बैडरूम म्यांमार सीमा के अंदर आता है, इसलिए ऐसे घरो में रहने वाले लोग खाने के लिए भारत में आते है और सोने के लिए म्यांमार जाते है।

image credits twitter user: Satyendra Garg

लुंगवा गांव की खासियत

इन गांव को खास बनाने के लिए कई चीजें है आइये सबके बारे में विस्तार से बात करते है।

कोयांक जनजाति

लुंगवा (Lungwa)गांव में रहने वाले लोगों कोयांक जनजाति की श्रेणी में आते है, यह जनजाति भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, असम के पहाड़ी क्षेत्रों में पायी जाती है कोयांक नागा समुदाय में सबसे बड़ी जनजाति मानी जाती है। आप इनकी पहचान इनके चेहरे और शरीर पर टेटू देख कर सकते है।

दुश्मन का सिर काटने की प्रथा

कोयांक जनजाति नागालैंड राज्य में सबसे उग्र मानी जाती है, इस जनजाति के लोगो युद्ध या लड़ाई में अपने दुश्मनो का सिर धड़ से अलग कर देते थे। जोकि एक परपम्परा का रूप ले चुकी थी लेकिन सरकार के कई प्रयासोंं के बाद सन 1980 के दशक में इस हैंड हंटिंग प्रथा को रोका गया।

माना जाता है कि इन गांवों में अफीम का सेवन अधिक होता। अफीम की पैदावार गांवों में नहीं होती है बल्कि म्यांमार से तस्करी कर लाई जाती है।

लुंगवा (Lungwa) में बहुपत्नी प्रथा

इस गांव के वशांनुगत मुखिया बनाने की प्रक्रिया चलती है अर्थात मुखिया का बेटे या परिवार का ही कोई सदस्य ही मुखिया बन सकता है तथा गांव के मुखिया को 1 से अधिक पत्नी रखने का अधिकार प्राप्त होता है। वर्तमान में इस गांव के मुखिया की 60 पत्नियां बताई जा रही है।

लुंगवा (Lungwa) में टैटू का इतिहास

children gathering on a hill top
image credits twitter user : Satyendra Garg

दोस्तों अगर आप यह सोच रहे है कि टैटू आजकल का नया फैशन है तो आप गलत है यह कोई नयी चीज नहीं बल्कि एक बहुत पुरानी प्रथा है जिसकी शुरुआत लगभग 5000 वर्ष पूर्व चीन से प्रान्त से हुई थी।

जी हाँ, वैज्ञानिकों को चीन के शिनजियांग प्रान्त के कब्रिस्तानों में कई ऐसी ममी मिली जो 5000 वर्ष पुरानी थी और इनके शरीर पर एक प्रकार का निशान था और जब इस बारे में गहनता से शोध किया गया तो पाया गया कि उस समय चीन में अपराधियों और दासों की पहचान करने के लिए उनके शरीर पर एक – एक प्रकार के निशान बनाया जाता था।

इसके बाद यह प्रथा विश्व के अन्य देशों तक भी पहुंची। समय के साथ – साथ इसे शरीर की सुंदरता के साथ जोड़ा गया और आज उसी का नतीजा है कि लोग अपने शरीर पर टैटू बनवाना पसंद करते है।

लुंगवा (Lungwa) गांव के लोग भी अपने शरीर और चेहरे पर खास तरह के टैटू बनवाते है इनका मानना है कि ये टैटू इनकी सुंदरता को बढ़ाने में मदद करते है, वैसे दोस्तों आपने आजकल युवा पीढ़ियों को तरह – तरह के टैटू बनवाते देखे होंगे लेकिन क्या आपको जानते है कि टैटू का इतिहास काफी पुराना है तो आइये जानते है कुछ खास जानकारी टैटू से जुडी।

कोयांक जनजाति की वेशभूषा

जैसा कि आपको बताया गया कि लुंगवा (Lungwa) गांव की जनजाति अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के पहाड़ी भागों के जंगलो में पायी जाती है, प्राचीन काल में इस जनजाति का मुख्य पेशा जानवरों और मनुष्यों का शिकार करना था,

जिसकी वजह से इस जनजाति के लोग मरे हुए जानवरो की खाल से वस्त्रो का निर्माण करते थे, तथा सिर पर मरे हुए जानवरो की खोपड़ी से मुकुट बना कर पहनते थे समय के साथ साथ इन्होने अपने अंदर कई बदलाव किये अब इनकी वेशभूषा में खास तरह का शॉल देखने को मिलता हैं जिसमे जानवरों के बालों का प्रयोग किया जाता है। अपनी सुरक्षा के लिए ये अपने साथ भाला भी रखते है।

लुंगवा (Lungwa) की समस्याएं

लुंगवा (Lungwa) गांव के लोगों इन क्षेत्रों से संबधित समस्याएं हो रही है आइये इनके बारे में विस्तार से समझने का प्रयास करते है।

1 – शिक्षा

इस गांव में शिक्षा की बहुत ही कमी है जिसके कारण गांव के अधिकतर लोग अंधविश्वास में भरोसा रखते है। नागा समुदाय के लोग शिक्षा के प्रति बहुत कम जागरूक है जिसके कारण आज भी गांवो में बहुपत्नी रखने की परम्परा चल रही है।

2 – रोजगार

क्योंकि यहां के लोगो के पास साक्षरता की कमी है जिसके कारण यहां के लोगो के पास रोजगार की काफी कमी है, इस कारण लुंगवा (Lungwa) गांव के लोग आज भी जानवरो का शिकार करके अपना पेट भरने के लिए मजबूर है।

3 – लुंगवा (Lungwa) में स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं

कई कुप्रथाओ के कारण यहां के लोगो में बहुत सी बीमारियां पायी जाती है, खास कर बहुपत्नी प्रथा के कारण महिलाओं के साथ शोषण किया जाता है और इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा असर देखने को मिलता है।

areal view of lungwa village
image credits twitter user :Satyendra Garg

आप कैसे पहुँच सकते हैं लुंगवा ?

इस आर्टिकल के पढ़ने के बाद शायद आपका मन इस जगह को घूमने के लिए कहेगा। इसके लिए हम आपको इस गांव तक पहुंचने का पूरा रास्ता बतायेंगे तो लुंगवा (Lungwa) गांव तक जाने के लिए आपको सबसे पहले नागालैंड के मोन जिले में पहुचना होगा इस शहर से लगभग 42 किमी दूर लुंगवा गांव है जहां पहुंचने के लिए आप निजी या सरकारी परिवहन सेवा की सहायता से इस गांव तक पहुंच सकते है।

अंत में

इस आर्टिकल के द्वारा आपको एक बहुत ही रोचक जगह के बारे में बताया गया जहाँ पहुंच कर आप भी भारत में खा और म्यांमार में सो सकते है। लुंगवा (Lungwa) गांव की यह जानकारी आपके लिए काफी उपयोगी साबित हुई होगी, उम्मीद करते है इस आर्टिकल के पढ़ने के बाद आपको इस गांव तक पहुंचने में किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी, ऐसी ही रोचक जानकारियों से रूबरू होने के लिए हमारे साथ आगे भी बने रहे।धन्यवाद !

FAQ

उत्तर – नागालैंड में लुंगवा ऐसा गांव है जहाँ के लोग खाना भारत में और सोने म्यांमार में जाते है।

यह गांव नागालैंड के मोन जिले से 42 किमी दूर स्थित है।

इस गांव ने कोयांक जनजाति निवास करती है।

गांव में बहुपत्नी प्रथा चलती है जिसके कारण गांव के पुरुषो को एक से अधिक पत्नी रखने की स्वतंत्रता प्राप्त है।

Leave a Reply