लोहार राजवंश की बेटी थीं दिद्दा
दिद्दा हिंदू में लोहार राजवंश में जन्मी एक खूबसूरत बच्ची थी, जिसे एक पैर से दिव्यांग होने की वजह से माता-पिता ने छोड़ दिया था। दिद्दा ने अपनी दिव्यांगता को ही अपनी ताकत बनाने के लिए युद्ध कला से लेकर हर कला में निपुणता हासिल की।
दिद्दा राजा क्षेमगुप्त को दे बैठी थी अपना दिल
कश्मीर के राजा क्षेमगुप्त एक दिन जब शिकार पर निकले थे तब उनकी मुलाकात दिद्दा से हुई। वो उनकी खूबसूरती और युद्ध कला में निपुणता के कायल हो गए और उनको अपना जीवन साथी मन बैठे।
जब दिद्दा नहीं हुई सती
दिद्दा -द वारियर क्वीन ऑफ कश्मीर' के अनुसार जब क्षेमगुप्त की मृत्यु हुई तब रानी दिद्दा ने सती होने से इंकार कर दिया। उन्होंने यह फैसला अपने बेटे और बेटी के लिये लिया। और उनके बड़े होने तक वो राजकाज संभालने लगीं।
कैसे पड़ा चुड़ैल रानी नाम
महारानी दिद्दा के दो अन्य नाम जो इतिहास के पन्नो में दर्ज़ है वो है चुड़ैल रानी और लंगड़ी रानी। जब उन्होंने राजकाज संभाला तब पुरुष प्रधान समाज के पहले से बने-बनाए तोड़े और अपने खुद के नियम बनाए। जिस कारण उस समाये के पुरुष राजाओं ने उनको यह नाम दिया।
जब रानी दिद्दा ने चटाई महोद गजनवी को धूल
जान सन 1025 ई. में महमूद गजनवी ने गुजरात के सोमनात मंदिर पर आक्रमण किया था तब उसकी इच्छा कश्मीर पे आक्रमण करने की भी थी। जो रानी दिद्दी की वजह से अधूरी रह गई।
जब रानी दिद्दा ने चटाई महोद गजनवी को धूल
दिद्दा ने अपनी छोटी सी सेना से छापामार युद्ध रणनीति से महमूद गजनवी की सेना को बुरी तरह हराया। भारत में गजनवी की ये पहली हार थी।