इस मंदिर में कपाट बंद करते समय एक जलता हुआ दीपक छोड़ दिया जाता है 6 महीने बाद कपाट खुलने पर दीपक उसी प्रकार जलता हुआ दिखायी देता है।
इस मंदिर का सम्बद्ध महाभारत काल से जोड़ा गया है यहाँ पाण्डु पुत्रों शिव की आराधना की थी।