राजनीति में हमेशा याद आयेंगे नेता जी 82 की उम्र में ली आखिरी सांस

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का निधन आज सुबह 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 8 : 15 मिनट पर हो गया | वे 82 वर्ष के थे |
बीते कुछ महीनो से नेता जी को यूरिन संक्रमण, सांस लेने में दिक्कत और ब्लड प्रेशर की समस्या हो रही थी |
जिसके चलते नेता जी को 2 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था | हालत में कुछ सुधार होने के बाद सुबह उनकी हालत अचानक से बिगड़ी और मुलायम जी हमेशा के लिए स्थिर हो गए |
नेता जी का कुशल व्यवहार पक्ष – विपक्ष सभी नेताओ को काफी भाता था |
इस आर्टिकल में हम उनके जीवन और राजनीति सफर से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानने की कोशिश करेंगे |
आर्टिकल में पढ़े – 1 – मुलायम सिंह यादव का व्यक्तिगत जीवन 1.1 नेता जी का जन्म 1.2 मुलायम सिंह यादव की शिक्षा 1.3 वैवाहिक जीवन 2 – नेता जी का राजनीति सफर 2.1 मुलायम सिंह यादव की विधायकी जीत 2.2 समाजवादी पार्टी की नींव रखी 2.3 विधायक से मुख्यमंत्री तक का सफर 2.4 अखिलेश को सौपी पार्टी की कमान 3 – गेस्ट हाउस कांड 4 – नेता जी को हमेशा इस बात का रहा अफ़सोस | 5 – मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें | |
मुलायम सिंह यादव का व्यक्तिगत जीवन
नाम | मुलायम सिंह यादव |
निक नाम | नेता जी |
जन्मदिन | 22 नवंबर 1939 |
जन्म स्थान | सैफई, इटावा जिला, उत्तर प्रदेश |
उम्र | 82 साल |
मृत्यु का दिन | 10 अक्टूबर 2022 |
मृत्यु का कारण | शारीरिक अस्वस्थता |
शिक्षा | पोस्ट ग्रेजुएशन (राजनीति विज्ञान) |
कॉलेज का नाम | के के कालेज, इटावा , उत्तर प्रदेश एके कॉलेज, शिकोहाबाद, उत्तर प्रदेश बीआर कालेज, आगरा विश्वविद्यालय |
राशि | वृश्चिक राशि |
नागरिकता | भारतीय |
गृह नगर | इटावा |
धर्म | हिन्दू |
जाति | ओबीसी |
पार्टी का नाम | समाजवादी पार्टी |
पत्नी | पहली पत्नी – मालती देवी दूसरी पत्नी – साधना गुप्ता |
संपत्ति | 20.56 करोड़ ( 2019 ) |
नेता जी का जन्म
मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा (उ. प्र.) के छोटे से गांव सैफई में हुआ | इनके पिताजी सुघर सिंह यादव एक किसान और माता मूर्ति देवी एक गृहणी थी |मुलायम सिंह यादव कुल 5 भाई और 1 बहन थे |
इनके भाई- बहनों के नाम क्रमशः इस प्रकार है |
- रतन सिंह यादव (बड़े )
- मुलायम सिंह यादव (स्वयं)
- अभय राम यादव (छोटे)
- राजपाल यादव (छोटे)
- शिवपाल यादव (छोटे)
- कमला देवी यादव (छोटी बहन)
मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई का नाम राम गोपाल यादव है |
मुलायम सिंह यादव की शिक्षा
नेता जी ने इटावा में के के कालेज और एके कॉलेज, शिकोहाबाद से अपनी इंटरमीडिएट तक की पढाई पूरी की |
इसके बाद बीआर कालेज आगरा से राजनीति विज्ञान में एम ए की पढाई पूरी की |मुलायम जी बचपन से ही व्यवहार के सरल थे |
नेता जी को बचपन से ही लोगों की परेशानियों को सुनना, उन्हें हर संभव मदद देना आदि में दिलचस्पी थी | यही आदत इन्हे जनता के बीच लोकप्रिय बनती गयी |
इनके पिता जी ने बचपन में ही इनका विवाह करवा दिया था |
मुलायम सिंह यादव जी के वैवाहिक जीवन से जुडी बातें कुछ इस प्रकार है |
वैवाहिक जीवन
मुलायम यादव का पहला विवाह मालती देवी से सन 1957 में हुआ |उस समय नेता जी महज 18 साल के थे |
साल 1973 में मुलायम यादव और मालती देवी के घर बेटे का जन्म हुआ |इन्ही का नाम अखिलेश यादव रखा गया |
मुलायम सिंह यादव जी की धर्मपत्नी मालती देवी की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से 24 मई 2003 को हो गयी | उस समय वह 60 वर्ष की थी |
राजनीति सफर के दौरान मुलायम यादव की मुलाकात साधना गुप्ता से हुई |वर्ष 1980 में मुलायम यादव ने अपनी दूसरी शादी इनसे कर ली थी |
साधना गुप्ता से भी मुलायम जी को एक पुत्र प्राप्त हुआ जिनका नाम प्रतीक यादव है |साधना गुप्ता नेता जी के व्यक्तिगत जीवन से लेकर राजनीतिक के हर फैसलों में मदद करती थी |
मुलायम सिंह यादव जी के राजनीतिक सफर को जानने के लिए आर्टिकल में बने रहिये |

नेता जी का राजनीतिक सफर
60 के दशक में भारत देश में समाजवाद की लहर थी |
समाजवाद के सबसे बड़े नेता राम मनोहर लोहिया ने समाजवादी आंदोलन के द्वारा देश में एक नई क्रांति का बिगुल फूंका था |
इन्ही आंदोलनों में मुलायम सिंह यादव भी शामिल हुए और लोहिया जी के आदर्शो से काफी प्रभावित हुए |
इसके बाद मुलायम यादव जी ने विधायकी लड़ने का मन बनाया |
उस समय उनके पास प्रचार करने के लिए साइकिल के अलावा कुछ और साधन नहीं था |
इनके सरल व्यक्तित्व के कारण गांव वालों ने उपवास रखना प्रारम्भ किया |
ताकि उससे जो अनाज बचे उसे बेच कर इनके लिए ईंधन की व्यवस्था की जाये |
ये सब बाते नेता जी को याद रही और उन्होंने उन सभी के हित के लिए कार्य किये |
मुलायम सिंह यादव की विधायकी जीत
मुलायम यादव जी 1967 में विधायक पद के लिए उम्मीदवार बनाये गए |
उस समय उनके विरोध में कांग्रेस के दिग्गज नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा के शिष्य लाखन सिंह से था |
चुनाव के नतीजे जब आये तो नेता जी की जीत हुई |
और नेता जी महज 28 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के विधायक के रूप में चुने गए |
समाजवादी पार्टी की नींव रखी गयी
- नेता जी शुरआती दौर में जनता पार्टी के कार्यकाल में मंत्री रहे |
- इसके बाद चौधरी चरण सिंह की पार्टी लोकदल में प्रदेश अध्य्क्ष बने |
- नेता जी 1967, 74, 77, 85, 89 में विधानसभा के सदस्य रहे |
- साल 1982 से 1985 तक विधान परिषद् के सदस्य रहे |
- नेता जी काफी लम्बे समय से एक पार्टी का गठन करना कहते थे इसलिए उन्होंने
- वर्ष 1992 में नेताजी ने समाजवादी पार्टी का गठन किया |
- इस पार्टी का चिन्ह ‘’ साइकिल ’’ दिया गया |
विधायक से मुख्यमंत्री तक का सफर
बहुत ही कम समय में मुलायम सिंह यादव ने राजनीति में अपना बड़ा किया |
जब वर्ष 1967 में उन्होंने अपने क्षेत्र से विधायकी का चुनाव लड़ा तो मात्र कुछ ही लोगों को उनके बारे में पता था
पर लोहिया जी के आदर्शो पर चल कर नेता जी ने कुछ ही दसको में अपना नाम दुनिया के हर कोने तक पहुंचा दिया |
नेता जी अपने क्षेत्र से कई बार विधायक बने |
इसके बाद पहली बार 5 दिसंबर 1989 को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली |
नेता जी अपने जीवन में 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री और 1 बार देश के रक्षा मंत्री के पद पर भी कार्य किया है |
अखिलेश को सौपी पार्टी की कमान
उत्तर प्रदेश के विधानसभा 2012 के चुनाव परिणाम में समाजवादी पार्टी को 403 में 226 सीटों पर विजयी प्राप्त हुई |
सभी को लग रहा था कि नेता जी चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे |
पर मुलायम सिंह यादव ने जनता के बीच एक बड़ा फैसला सुनाया |
लेकिन नेता जी ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना |
मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल यादव इस फैसले से निराश नजर आये |
वो नेता जी के बाद खुद को पार्टी का हक़दार समझते थे | और यही फैसला यादव परिवार में दरार का कारण बना |
गेस्ट हाउस कांड
सपा प्रमुख मुलायम सिंह और बसपा प्रमुख कांशीराम ने वर्ष 1993 में यूपी में गठबंधन की सरकार बनाई |
2 वर्ष बाद आपसी तालमेल न बैठने से बसपा ने बीजेपी से संपर्क किया |
बीजेपी ने अपना समर्थन देकर मायावती को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही |
बसपा के समर्थन वापस लेने की बात जब सपा नेताओं तक पहुंची तो वे सभी आक्रोशित हो उठे |
उसी समय लखनऊ के गेस्ट हाउस में मायावती अपने विधायकों से संवाद कर रही थी |
आक्रोशित सपा नेताओं में गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया |
उधर मायावती ने अपनी जान बचने के लिए खुद को कमरे में बंद कर लिया |
उसी समय बीजेपी के तमाम नेताओ और बसपा समर्थकों ने बहन जी को सुरक्षित गेस्ट हाउस से बाहर निकला |
नेता जी को हमेशा इस बात का रहा अफ़सोस
वर्ष 1996 में मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री रेस में सबसे आगे चल रहे थे |
इनके सहयोगी लालू यादव और शरद यादव ने इनका सहयोग नहीं किया |
हालांकि बाद में मुलायम सिंह यादव और लालू यादव दोनों के बीच रिश्तेदारी भी हुई |
परन्तु मुलायम सिंह यादव को इस बात का अफ़सोस हमेशा रहा |
नेता जी का निधन
मुलायम सिंह यादव की तबियत तबसे ज्यादा बिगड़ गयी जबसे इनकी पत्नी साधना गुप्ता का निधन हुआ |
इन्हे 2 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया |
लगभग 8 दिन हॉस्पिटल में इलाज चलने के बाद 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 8 : 15 मिनट पर इन्होने अंतिम सास ली |
मुलायम सिंह यादव के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें
- नेता जी का जन्म 22 नवंबर 1939 में इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ |
- मुलायम सिंह एक राजनीतिज्ञ के साथ एक शिक्षक और पहलवान भी थे |
- यादव जी पहलवानी में चरखा दांव में काफी माहिर थे |
- नेता जी राजनीति में लोहा और दिल से मुलायम थे |
- मुलायम सिंह यादव आठ बार विधायक, सात बार सांसद और एक बार देश के रक्षा मंत्री रह चुके है |
- इन्होने 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार भी संभाला |
- वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी की मुख्य कमान अपने बेटे अखलेश यादव को सौपी |
इस आर्टिकल के द्वारा आपको ‘’नेता जी’’ के उच्च विचारो, उनके संघर्षो और हार न मानने वाले उस जूनून से रूबरू कराने की कोशिश की गयी है |
आज वो भले हमारे बीच नहीं है लेकिन आने वाली पीढ़ियां उनसे बहुत कुछ सीखे इस उद्देश्य से इस आर्टिकल का प्रकाशन किया गया है |
हम उम्मीद करते है आपको यह जानकारी काफी पसंद आयी होगी |
यदि आप इस विषय से जुडी अन्य कोई जानकारी जानते है
और हमसे साझा करना चाहते है तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते है | धन्यवाद |