प्रमुख समाचार दिनांक 18.02.2024

गुलजार और जगदुरू राम भद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpith Puraskar)

Gyanpith-Puraskar २०२४ की विजेता गुलज़ार और जगदुरू राम भद्राचार्य

58 Gyanpith Puraskar चयन समिति ने 2024 Gyanpith पुरस्कारों का ऐलान किया। इस बार प्रसिद्ध गीतकार और उर्दू कवि गुलज़ार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को इस पुरस्कार के लिये चयनित किया है।

गुलज़ार हिंदी सिनेमा में अपने उत्कृष्ट काम के लिए जाने जाते हैं, जबकि जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत के क्षेत्र में उनकी महानता के लिए सम्मानित किया गया है।

गुलज़ार ने पूर्व में उर्दू कविता के क्षेत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किए हैं।

जबकि चित्रकूट में स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रमुख हिंदू आध्यात्मिक नेता और शिक्षक है। इसके साथ ही यह 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक भी है।

Gyanpith चयन समिति ने एक बयान में कहा है कि

यह पुरस्कार दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है। संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार श्री गुलज़ार।

गोवा के लेखक दामोदर मौजो को 2022 का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला था।

Gyanpith Puraskar का इतिहास

Gyanpith Puraskar भारत में दिये जाने वाले साहित्यिक पुरस्कार है। इसके स्थापना 1961 में साहू शांति प्रसाद जैन के द्वारा करि गयी थी। यह पुरस्कार केवल भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों को उनके सबसे उत्कृष्ट कार्य के लिये दिया जाता है।

इस पुरस्कार की खास बात यह है कि अब तक किसी भी लेखक को मरणोपरांत सम्मान नहीं दिया गया है। साल 1965 से 1981 तक Gyanpith Puraskar स्वरूप लेखकों को नकद पुरस्कार समेत देवी सरस्वती की एक कांस्य प्रतिकृति दी जाती थी।

वर्ष 2015 से नकद पुरस्कार को संशोधित कर ₹11 लाख और 2023 से इसे 17 लाख रुपये कर दिया गया।

सबसे पहले Gyanpith Puraskar मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को उनकी कविता संग्रह, ओडक्कुझल के लिए पुरस्कार मिला था।

Gyanpith Puraskar विजेताओं की सूचि

साहित्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता
सीरीयल नम्बर। प्राप्तकर्ता का नाम भाषा वर्ष
1 जी शंकर कुरुप मलयालम 1965
2 ताराशंकर बंद्योपाध्याय बंगाली 1966
3 कुप्पाली वेंकटप्पागौड़ा पुट्टप्पा कन्नडा 1967
4 उमाशंकर जोशी गुजराती 1967
5 सुमित्रा नंदन पंत हिंदी 1968
6 फ़िराक़ गोरखपुरी उर्दू 1969
7 विश्वनाथ सत्यनारायण तेलुगू 1970
8 बिष्णु डे बंगाली 1971
9 रामधारी सिंह दिनकर हिंदी 1972
10 दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे कन्नडा 1973
11 गोपीनाथ मोहंती ओरिया 1973
12 विष्णु सखाराम खांडेकर मराठी 1974
13 पीवी अकिलन तामिल 1975
14 आशापूर्णा देवी बंगाली 1976
15 के. शिवराम कारंत कन्नडा 1977
16 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' हिंदी 1978
17 बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य असमिया 1979
18 एसके पोट्टेक्कट मलयालम 1980
19 अमृता प्रीतम पंजाबी 1981
20 महादेवी वर्मा हिंदी 1982
21 मस्ती वेंकटेश अयंगर कन्नडा 1983
22 थकाज़ी शिवशंकर पिल्लई मलयालम 1984
23 पन्नालाल पटेल गुजराती 1985
24 सच्चिदानंद राउतराय ओरिया 1986
25 विष्णु वामन शिरवाडकर मराठी 1987
26 डॉ. सी. नारायण रेड्डी तेलुगू 1988
27 कुर्रतुलैन हैदर उर्दू 1989
28 विनायक कृष्ण गोकक कन्नडा 1990
29 सुभाष मुखोपाध्याय बंगाली 1991
30 नरेश मेहता हिंदी 1992
31 सीताकांत महापात्र ओरिया 1993
32 यूआर अनंतमूर्ति कन्नडा 1994
33 डॉ. एमटी वासुदेवन नायर मलयालम 1995
34 महाश्वेता देवी बंगाली 1996
35 अली सरदार जाफ़री उर्दू 1997
36 गिरीश कर्नाड कन्नडा 1998
37 गुरदयाल सिंह पंजाबी 1999
38 निर्मल वर्मा हिंदी 1999
39 इंदिरा गोस्वामी असमिया 2000
40 राजेंद्र केशवलाल शाह गुजराती 2001
41 डी. जयकांतन तामिल 2002
42 विंदा करंदीकर मराठी 2003
43 रहमान राही कश्मीरी 2004
44 कुँवर नारायण हिंदी 2005
45 रवीन्द्र केलेकर कोंकणी 2006
46 सत्य व्रत शास्त्री संस्कृत 2006
47 डॉ. ओएनवी कुरुप मलयालम 2007
48 अखलाक मोहम्मद खान उर्दू 2008
49 अमर कांत हिंदी 2009
50 श्रीलाल शुक्ल हिंदी 2009
51 चन्द्रशेखर कंबारा कन्नडा 2010
52 प्रतिभा रे ओरिया 2011
53 रावुरि भारद्वाज तेलुगू 2012
54 केदारनाथ सिंह हिंदी 2013
55 भालचंद्र नेमाड़े मराठी 2014
56 डॉ. रघुवीर चौधरी गुजराती 2015
57 शंख घोष बंगाली 2016
58 कृष्णा सोबती हिंदी 2017
59 अमिताव घोष अंग्रेज़ी 2018
60 अक्कितम अच्युतन नंबूथिरी मलयालम 2019
61 नीलमणि फूकन असमिया 2021
62 दामोदर मौजो कोंकणी 2022

किसान संगठनों की मांग: न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी कानून

किसान संगठनों ने रविवार को सरकार के साथ होने वाली बैठक के पहले ही स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी) को गारंटी कानून बनाने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। किसान इसके साथ साथ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा देने जैसे मुद्दों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं। बैठक के पहले इन नई मांगों से बैठक में पेंच नजर आ रहा है।

लीड्स यूनिवर्सिटी के शोध में हुआ चौकाने वाले खुलासे

लीड्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 145 मिलियन से अधिक रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है।

यह रिकॉर्ड उन मरीजों का है जो दिल का दौरा पड़ने से ठीक तो हो जाते हैं लेकिन अन्य बीमारियां के चपेट में आ गए।

यह अध्यन 9 साल की अवधि में अस्पताल आए ऐसे ही युवा मरीजों का है।

वर्तमान समय में 10 में से 7 लोगों को दिल का दौरा तो आता ही है।जिसका असर दिल पर तो पड़ता ही है साथ ही सर्कुलेटरी सिस्टम के साथ शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।

इसलिए आगे बहुत सतर्क हो कर रहने की जरुरत है। यह पाया गया है कि जिन लोगों को दिल का दौरा नहीं आता है उन्हें दूसरी बीमारियां का जोखिम नहीं होता है।

एक तिहाई लोगों का किडनी फेल हो जाता है या दिल काम करना बंद कर देता है।

7% लोगों को आगे भी हार्ट अटैक आता है। 9 साल के अध्यन के दौरान 38% लोगों की मौत हो जाती है। 

यह अध्यन 18 साल से अधिक की आयु के लोगों पर किया गया। इन मरीजों की औसत आयु 67 साल थी और इनमें 66% मरीज पुरुष थे।

फरार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, बरामद किए पेट्रोल बम

हल्द्वानी के वनभूलपुर क्षेत्र में 8 फरवरी को हुई हिंसा के बाद फरार चल रहे कुल 14 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें उपद्रव में शामिल 3 वांटेड भी हैं।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पुलिस ने पीएसी के जवानों से लूटी गई राइफल की मैगजीन और 4 पेट्रोल बम भी बरामद किया है। इस मामले में अभी तक कुल 58 उपद्रियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

कोरोना से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक-एक व्यक्ति की मौत

COVID-19 का खौफ अभी भी खत्म नहीं हुआ था कि एक और जानलेवा वायरस की एंट्री हो गई है।

भारत में H3N2 वायरस से दो मौत के मामले रिपोर्ट किए गए हैं और संक्रमित लोगों की संख्या 90 हो गई है।

सरकार ने इसे लेकर गंभीर रूप से ध्यान देने का आदेश दिया है और रोकथाम के उपायों को तेजी से बढ़ाया गया है।

उत्तर भारत में इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं, विशेष रूप से दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और कर्नाटक में।

खांसी की शिकायत वाले मरीजों की आधिकतर संदिग्धता है कि यह कोरोना हो सकता है, और इसलिए उनके सैंपल की कोरोना जांच भी की जा रही है।

केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 24 घंटे की अवधि में कोरोना से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक एक व्यक्ति की मौत हो गई है।

पिछले 1 दिन में कोविड़ से पीड़ित 144 मामले सामने आए हैं।

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