गुलजार और जगदुरू राम भद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpith Puraskar)
![Gyanpith-Puraskar २०२४ की विजेता गुलज़ार और जगदुरू राम भद्राचार्य](https://sarkariresultmore.com/wp-content/uploads/cwv-webp-images/2024/02/94aa418600804e45e1f11d6bef69e32e.jpg.webp)
58 Gyanpith Puraskar चयन समिति ने 2024 Gyanpith पुरस्कारों का ऐलान किया। इस बार प्रसिद्ध गीतकार और उर्दू कवि गुलज़ार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को इस पुरस्कार के लिये चयनित किया है।
गुलज़ार हिंदी सिनेमा में अपने उत्कृष्ट काम के लिए जाने जाते हैं, जबकि जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत के क्षेत्र में उनकी महानता के लिए सम्मानित किया गया है।
गुलज़ार ने पूर्व में उर्दू कविता के क्षेत्र में साहित्य अकादमी पुरस्कार, दादा साहब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
जबकि चित्रकूट में स्थित तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रमुख हिंदू आध्यात्मिक नेता और शिक्षक है। इसके साथ ही यह 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक भी है।
Gyanpith चयन समिति ने एक बयान में कहा है कि
“यह पुरस्कार दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है। संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार श्री गुलज़ार।“
गोवा के लेखक दामोदर मौजो को 2022 का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला था।
Gyanpith Puraskar का इतिहास
Gyanpith Puraskar भारत में दिये जाने वाले साहित्यिक पुरस्कार है। इसके स्थापना 1961 में साहू शांति प्रसाद जैन के द्वारा करि गयी थी। यह पुरस्कार केवल भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों को उनके सबसे उत्कृष्ट कार्य के लिये दिया जाता है।
इस पुरस्कार की खास बात यह है कि अब तक किसी भी लेखक को मरणोपरांत सम्मान नहीं दिया गया है। साल 1965 से 1981 तक Gyanpith Puraskar स्वरूप लेखकों को नकद पुरस्कार समेत देवी सरस्वती की एक कांस्य प्रतिकृति दी जाती थी।
वर्ष 2015 से नकद पुरस्कार को संशोधित कर ₹11 लाख और 2023 से इसे 17 लाख रुपये कर दिया गया।
सबसे पहले Gyanpith Puraskar मलयालम लेखक जी. शंकर कुरुप को उनकी कविता संग्रह, ओडक्कुझल के लिए पुरस्कार मिला था।
Gyanpith Puraskar विजेताओं की सूचि
सीरीयल नम्बर। | प्राप्तकर्ता का नाम | भाषा | वर्ष |
---|---|---|---|
1 | जी शंकर कुरुप | मलयालम | 1965 |
2 | ताराशंकर बंद्योपाध्याय | बंगाली | 1966 |
3 | कुप्पाली वेंकटप्पागौड़ा पुट्टप्पा | कन्नडा | 1967 |
4 | उमाशंकर जोशी | गुजराती | 1967 |
5 | सुमित्रा नंदन पंत | हिंदी | 1968 |
6 | फ़िराक़ गोरखपुरी | उर्दू | 1969 |
7 | विश्वनाथ सत्यनारायण | तेलुगू | 1970 |
8 | बिष्णु डे | बंगाली | 1971 |
9 | रामधारी सिंह दिनकर | हिंदी | 1972 |
10 | दत्तात्रेय रामचन्द्र बेंद्रे | कन्नडा | 1973 |
11 | गोपीनाथ मोहंती | ओरिया | 1973 |
12 | विष्णु सखाराम खांडेकर | मराठी | 1974 |
13 | पीवी अकिलन | तामिल | 1975 |
14 | आशापूर्णा देवी | बंगाली | 1976 |
15 | के. शिवराम कारंत | कन्नडा | 1977 |
16 | सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' | हिंदी | 1978 |
17 | बीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य | असमिया | 1979 |
18 | एसके पोट्टेक्कट | मलयालम | 1980 |
19 | अमृता प्रीतम | पंजाबी | 1981 |
20 | महादेवी वर्मा | हिंदी | 1982 |
21 | मस्ती वेंकटेश अयंगर | कन्नडा | 1983 |
22 | थकाज़ी शिवशंकर पिल्लई | मलयालम | 1984 |
23 | पन्नालाल पटेल | गुजराती | 1985 |
24 | सच्चिदानंद राउतराय | ओरिया | 1986 |
25 | विष्णु वामन शिरवाडकर | मराठी | 1987 |
26 | डॉ. सी. नारायण रेड्डी | तेलुगू | 1988 |
27 | कुर्रतुलैन हैदर | उर्दू | 1989 |
28 | विनायक कृष्ण गोकक | कन्नडा | 1990 |
29 | सुभाष मुखोपाध्याय | बंगाली | 1991 |
30 | नरेश मेहता | हिंदी | 1992 |
31 | सीताकांत महापात्र | ओरिया | 1993 |
32 | यूआर अनंतमूर्ति | कन्नडा | 1994 |
33 | डॉ. एमटी वासुदेवन नायर | मलयालम | 1995 |
34 | महाश्वेता देवी | बंगाली | 1996 |
35 | अली सरदार जाफ़री | उर्दू | 1997 |
36 | गिरीश कर्नाड | कन्नडा | 1998 |
37 | गुरदयाल सिंह | पंजाबी | 1999 |
38 | निर्मल वर्मा | हिंदी | 1999 |
39 | इंदिरा गोस्वामी | असमिया | 2000 |
40 | राजेंद्र केशवलाल शाह | गुजराती | 2001 |
41 | डी. जयकांतन | तामिल | 2002 |
42 | विंदा करंदीकर | मराठी | 2003 |
43 | रहमान राही | कश्मीरी | 2004 |
44 | कुँवर नारायण | हिंदी | 2005 |
45 | रवीन्द्र केलेकर | कोंकणी | 2006 |
46 | सत्य व्रत शास्त्री | संस्कृत | 2006 |
47 | डॉ. ओएनवी कुरुप | मलयालम | 2007 |
48 | अखलाक मोहम्मद खान | उर्दू | 2008 |
49 | अमर कांत | हिंदी | 2009 |
50 | श्रीलाल शुक्ल | हिंदी | 2009 |
51 | चन्द्रशेखर कंबारा | कन्नडा | 2010 |
52 | प्रतिभा रे | ओरिया | 2011 |
53 | रावुरि भारद्वाज | तेलुगू | 2012 |
54 | केदारनाथ सिंह | हिंदी | 2013 |
55 | भालचंद्र नेमाड़े | मराठी | 2014 |
56 | डॉ. रघुवीर चौधरी | गुजराती | 2015 |
57 | शंख घोष | बंगाली | 2016 |
58 | कृष्णा सोबती | हिंदी | 2017 |
59 | अमिताव घोष | अंग्रेज़ी | 2018 |
60 | अक्कितम अच्युतन नंबूथिरी | मलयालम | 2019 |
61 | नीलमणि फूकन | असमिया | 2021 |
62 | दामोदर मौजो | कोंकणी | 2022 |
किसान संगठनों की मांग: न्यूनतम समर्थन मूल्य के गारंटी कानून
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किसान संगठनों ने रविवार को सरकार के साथ होने वाली बैठक के पहले ही स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी) को गारंटी कानून बनाने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए। किसान इसके साथ साथ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा देने जैसे मुद्दों को लेकर आन्दोलन कर रहे हैं। बैठक के पहले इन नई मांगों से बैठक में पेंच नजर आ रहा है।
लीड्स यूनिवर्सिटी के शोध में हुआ चौकाने वाले खुलासे
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लीड्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 145 मिलियन से अधिक रिकॉर्ड का विश्लेषण किया है।
यह रिकॉर्ड उन मरीजों का है जो दिल का दौरा पड़ने से ठीक तो हो जाते हैं लेकिन अन्य बीमारियां के चपेट में आ गए।
यह अध्यन 9 साल की अवधि में अस्पताल आए ऐसे ही युवा मरीजों का है।
वर्तमान समय में 10 में से 7 लोगों को दिल का दौरा तो आता ही है।जिसका असर दिल पर तो पड़ता ही है साथ ही सर्कुलेटरी सिस्टम के साथ शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
इसलिए आगे बहुत सतर्क हो कर रहने की जरुरत है। यह पाया गया है कि जिन लोगों को दिल का दौरा नहीं आता है उन्हें दूसरी बीमारियां का जोखिम नहीं होता है।
एक तिहाई लोगों का किडनी फेल हो जाता है या दिल काम करना बंद कर देता है।
7% लोगों को आगे भी हार्ट अटैक आता है। 9 साल के अध्यन के दौरान 38% लोगों की मौत हो जाती है।
यह अध्यन 18 साल से अधिक की आयु के लोगों पर किया गया। इन मरीजों की औसत आयु 67 साल थी और इनमें 66% मरीज पुरुष थे।
फरार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, बरामद किए पेट्रोल बम
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हल्द्वानी के वनभूलपुर क्षेत्र में 8 फरवरी को हुई हिंसा के बाद फरार चल रहे कुल 14 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें उपद्रव में शामिल 3 वांटेड भी हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पुलिस ने पीएसी के जवानों से लूटी गई राइफल की मैगजीन और 4 पेट्रोल बम भी बरामद किया है। इस मामले में अभी तक कुल 58 उपद्रियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
कोरोना से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक-एक व्यक्ति की मौत
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COVID-19 का खौफ अभी भी खत्म नहीं हुआ था कि एक और जानलेवा वायरस की एंट्री हो गई है।
भारत में H3N2 वायरस से दो मौत के मामले रिपोर्ट किए गए हैं और संक्रमित लोगों की संख्या 90 हो गई है।
सरकार ने इसे लेकर गंभीर रूप से ध्यान देने का आदेश दिया है और रोकथाम के उपायों को तेजी से बढ़ाया गया है।
उत्तर भारत में इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं, विशेष रूप से दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और कर्नाटक में।
खांसी की शिकायत वाले मरीजों की आधिकतर संदिग्धता है कि यह कोरोना हो सकता है, और इसलिए उनके सैंपल की कोरोना जांच भी की जा रही है।
केंद्रीय स्वास्थय मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 24 घंटे की अवधि में कोरोना से राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक एक व्यक्ति की मौत हो गई है।
पिछले 1 दिन में कोविड़ से पीड़ित 144 मामले सामने आए हैं।