प्रमुख समाचार दिनांक 24.02.2024

दुनिया की पहली समुद्र रेल टनल में बुलेट ट्रेन का हलचल

बुलेट ट्रेन

देश में पहली बार समुद्र के नीचे बनने वाली रेल टनल में बुलेट ट्रेन अपनी पूरी रफ्तार 320 कि. मी. प्रति घंटे से चलेगी। समुद्र तल से इसकी गहराई 56 मीटर है तथा चौड़ाई 17.9 मीटर है। इसमें दो हाई स्पीड रेल लाइनों (अप डाउन) का निर्माण किया जा सकेगा। देरी से चल रहे मुंबई अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के तहत बनने वाली टनल परियोजना को तेज गति से पूरा करने के लिए एक साथ चार स्थानों में खुदाई का काम शुरू किया जायगा। इस परियोजना का टनल कार्य सबसे जटिल है क्योंकि इस क्षेत्र में पहले ही से काफी ऊंची बहुमंजिला इमारतें हैं।

प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट, बुलेट ट्रेन के निर्माण का काम तेजी से बढ़ रहा है। देश की पहली समुद्र के नीचे बनने वाली सुरंग का निर्माण मुंबई में होगा। इस सुरंग की लंबाई 21 किमी होगी, और इसमें सात किमी समुद्र के नीचे बनेगी।

मुंबई से अहमदाबाद तक का बुलेट ट्रेन बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से शुरू होगा। इस स्थान पर स्टेशन और ट्रैक दोनों भूमिगत होंगे। सुरंग का निर्माण मुंबई के निचले स्तर से होगा और सात किमी तक समुद्र के नीचे बनेगी।

इस काम की शुरुआत के लिए तैयारियाँ पूरी हो रही हैं, और काम कुछ ही महीनों में शुरू हो जाएगा। इसमें लोकसभा चुनाव से पहले प्रारंभ किया जाएगा। टेंडर पहले ही आवार्ड किए गए हैं और अब तैयारी अग्रसर है।

यह सुरंग देश में पहली बार बन रही है, इसलिए इसके लिए विशेष तकनीकी तैयारियाँ की जा रही हैं। टीबीएम के पार्ट्स अलग-अलग देशों से मंगाए जा रहे हैं और उनका असेंबली में समाहित किया जा रहा है। खुदाई के काम की तैयारी भी जल्दी से हो रही है।

सौंफ: न सिर्फ मसाले, बल्कि सेहत के लिए भी रामबा

सौंफ भारत की रसोई में मसालों के रुप में तो जाना जाता है ही जिसके इस्तेमाल से किसी भी भोजन का स्वाद जायकेदार हो जाता है। सौंफ का इस्तेमाल शाकाहारी व मांसाहारी दोनों तरह के भोजन में किया जाता है। शायद आप जानते हों कि मसाले के साथ साथ यह शरीर के लिए भी बहुत उपयोगी है। पूर्ण रूप से पौष्टिक इसमें कॉपर, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नेशियम जैसे पौष्टिक तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए इसके सेवन से गर्मी के कहर से भी बचा जा सकता है।

इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण और फाइबर के कारण गर्मियों में होने वाली पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। यदि इसे मिश्री के साथ मिला दें तो यह बड़ा ही अच्छा माउथ फ्रेशनर का काम करता है। रंग बिरंगी सौंफ तो बच्चों को बहुत ही भाती है। आगे आने वाली गर्मियों में आप सौंफ का सेवन अवश्य करें और अपना पाचन क्रिया सही रखें।

सौंफ (Fennel Seeds) हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होती है। इसे मसालों में शामिल किया जाता है और माउथ फ्रेशनर के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ में कई औषधीय और पोषक तत्व होते हैं, जो हमें कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं।

सौंफ का सेवन खाने के साथ ही अच्छा लगता है और पेट की समस्याओं में भी राहत देता है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, विटामिन ई और सी, और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं। हालांकि, अधिक संख्या में सौंफ का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। यह छींक और पेट दर्द की समस्याओं को बढ़ा सकता है, और अगर आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो सौंफ का सेवन बंद कर देना चाहिए।

सौंफ का सेवन सावधानी से करना चाहिए, और अगर आपको किसी तरह की एलर्जी है, तो आपको इसे खाना बंद कर देना चाहिए। सो, सौंफ को ठीक से उपयोग करके हम अपने स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं।

किडनी स्वास्थ्य का संकेतक: क्रेयेटिनिन स्तर के महत्व

क्रिएटिनिन एक महत्वपूर्ण परीक्षण है जो आपकी किडनी की स्वस्थता का पता लगाता है। इस टेस्ट में रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर को मापा जाता है। किडनी की स्वस्थता को जानने के लिए इस परीक्षण का महत्वपूर्ण भूमिका है। आपके डॉक्टर इस टेस्ट को आपके गुर्दे की स्वस्थता की जांच के लिए करवा सकते हैं, जब वे समझते हैं कि आपके शरीर में अपशिष्ट का उपचय ठीक से नहीं हो रहा है। क्रिएटिनिन लेवल को मापकर डॉक्टर आपके गुर्दे के काम की अच्छाई को जांच सकते हैं और किडनी से संबंधित समस्याओं को पहचान सकते हैं।

अगर आपके पास किडनी से संबंधित लक्षण हैं, तो डॉक्टर आपको इस परीक्षण के लिए सलाह दे सकते हैं।क्रिएटिनिन की सामान्य सीमा व्यक्ति के उम्र, जाति, लिंग और शरीर के आकार के अनुसार भिन्न होती है।अगर आपके पास किडनी समस्या के लक्षण हैं, तो डॉक्टर आपको इस परीक्षण के लिए सलाह देंगे।

मधुमेह व रक्तचाप की तुलना में लोग क्रियेटिनिन स्तर के बारे में कम ही जानते हैं। किडनी की अच्छी सेहत के लिए क्रेयेटिनिन का सामान्य रेंज में रहना जरूरी है। किडनी से सम्बन्धित बीमारियों का पता रक्त परीक्षण के द्वारा सिरम क्रियेटिनिन के स्तर से पता चलता है। किडनी में एमिनो एसिड पाया जाता है जो अधिक चिकनाई युक्त चीजों के खाने से बनता है। हमारी किडनी खून से क्रियेटिनिन को अलग कर अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर करती है।

फिल्टर होने के बाद अपशिष्ट पदार्थ मूत्र से बाहर निकल जाते हैं। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती है तब यह अपशिष्ट पदार्थ रक्त में जमा होने लगते हैं और शरीर में कई तरह के विकार पैदा करते हैं जैसे कि यूटीआई में संक्रमण, जो इलाज न होने से किडनी तक पहुंच जाता है। पेशाब में जलन व दर्द। पेशाब कम आना व जल्दी जल्दी आना । हाथों पैरों में सूजन। सांस लेने में दिक्कत। सीने में दर्द। शरीर में खुजली होना, जी मितलाना, बेहोशी होना, खून की कमी, अनिद्रा व आंखों के नीचे सूजन जैसे लक्षण दिखाईं पड़ने लगते हैं।

Leave a Reply