इजरायली बमबारी का परिणाम

इजरायल बमबारी का परिणाम: गाजा में पोतों की कमी और माल ढुलाई में वृद्धि

इजराइल

गाजा पर इजरायल बमबारी के विरोध में हूती विद्रोही लाल सागर में गुजरने वाले दुनिया भर के पोतों पर हमले कर रहे हैं जिसके कारण इस क्षेत्र में कच्चे माल को ढुलाई करने वाले पोतों की संख्या में 60% की कमी आई है। माल ढुलाई दरें 150% तक बढ़ गई हैं। यूरोप और एशिया को व्यापार से जोड़ने वाले इस रूट में आतंकियों के हमले में कोई सुधार के संकेत नहीं मिल रहे हैं। हमले के कारण यूरोप में जाने वाले उद्योगों पर प्रभाव ज्यादा है। इनमें कपड़ा, चमड़ा, मसाले, इंजीनियरिंग समान और रत्न व आभूषण शामिल हैं।

हमास के हमलों के प्रतिक्रिया में, इजराइल ने गाजा पट्टी में 17 मिलिट्री कंपाउंड और 4 मिलिट्री हेडक्वार्टर्स पर हमले किए हैं। इसके परिणामस्वरूप, अब तक 200 फिलिस्तीनियों की मौत हुई है और 1600 से अधिक लोग घायल हैं। अलजजीरा के अनुसार, 1000 से अधिक फिलिस्तीनी इजराइल में घुस गए हैं, जो 1948 के बाद का पहला मामला है।

साथ ही, हमास द्वारा सुबह शुरू किए गए 5 हजार रॉकेट हमलों के कारण 100 इजराइलियों की मौत हुई है और 750 घायल हैं। इसके बाद, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जंग की घोषणा की है।

भारतीय एम्बेसी ने एडवाइजरी जारी की इजराइल

इस संदर्भ में, भारतीय एम्बेसी ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है और उन्हें सतर्क और सुरक्षित रहने की सलाह दी है। साथ ही, भारतीय विमानसेवा ने इजराइल की यात्रा को रोक दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इजराइल के लोगों के साथ खड़े होने का समर्थन किया है।

हमास ने दावा किया है कि वे कई लोगों को बंधक बना लिया है, जिसमें इजराइली जनरल निमरोद अलोनी भी शामिल हैं। यह बंधकों की संख्या इतनी है कि हमास इसके बदले इजराइल की जेलों में कैद सभी फिलिस्तीनियों को छुड़ा सकते हैं। इसके लिए, इजराइली फोर्सेस ने ओफाकिम इलाके में एक घर को घेर लिया है और हमास के लड़ाकों से बातचीत कर रहे हैं।

हमास ने अपने ऑपरेशन को ‘अल-अक्सा फ्लड’ नाम दिया है, जबकि इजराइल की सेना ने ‘स्वॉर्ड्स ऑफ आयरन’ ऑपरेशन शुरू किया है। हमास के लड़ाकों ने कई इजराइली कस्बों पर कब्जा किया है।

हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने कहा कि यह हमला इजराइल के अल-अक्सा मस्जिद को अपवित्र करने का बदला है। इजराइली पुलिस ने अप्रैल 2023 में इस मस्जिद में ग्रेनेड फेंके थे। हमास के प्रवक्ता गाजी हामद ने कहा कि यह कार्रवाई उन अरब देशों के लिए हमारा जवाब है, जो इजराइल के साथ करीबी बढ़ा रहे हैं। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमेरिका की पहल पर सऊदी अरब इजराइल को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है।

दुनियाभर के पश्चिमी देशों जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, और फ्रांस ने हमास के हमलों की निंदा की है। उन्होंने इजराइल को अपनी सुरक्षा का पूरा अधिकार माना है। यूरोपियन यूनियन की चीफ ने भी इजराइल को जवाबी कार्रवाई का पूरा हक माना है और हिंसा को रोकने की बात कही है।

बाइडेन ने इजराइल के साथ समर्थन किया

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इजराइल के साथ हर समर्थन किया है। वह उन्हें अपनी सुरक्षा की रक्षा करने का हक मानते हैं। लॉयड ऑस्टिन ने भी इजराइल की सुरक्षा को बचाने का आश्वासन दिया है। ईरान और कतर ने हमास के समर्थन का दावा किया है, जबकि तुर्की और रूस ने बातचीत से मसले का हल तलाशने की पुनरावृत्ति की मांग की है।

हमास का उद्गम 1970 के दशक में हुआ, जब इजराइल ने फिलिस्तीनी उदारवादी नेताओं के खिलाफ कठोर एक दृष्टिकोण अपनाया। हमास की आधिकारिक स्थापना 1987 में हुई। यह संगठन फिलिस्तीन के आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है, खासतौर पर युवा पीढ़ी के बीच। हमास को तुर्की और कतर से वित्तीय सहायता मिलती है, जबकि ईरान भी हथियार और धन प्रदान करता है। हालांकि, ईरान एक शिया मुल्क है, जबकि अरब दुनिया सुन्नी है।

हमास में करीब 27,000 सदस्य हैं, जो 6 रीजनल ब्रिगेड्स में विभाजित हैं। इसके अलावा, हमास के 4 विंग हैं – मिलिट्री, पॉलिटिकल, इंटरनेशनल अफेयर्स, और सोशल। इसका उद्देश्य है इजराइल के कब्जे के विरुद्ध लड़ना और एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र की स्थापना करना। कई सालों तक, हमास ने इजराइल को चुनौती दी है, लेकिन उनकी ताकत के बावजूद, हर बार झड़प में हानि हुई है। उनके सदस्य अक्सर इजराइली सैनिकों के खिलाफ हमले करते हैं लेकिन उन्हें अब ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है।

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