बच्चों को स्मार्टफोन कब देना चाहिए ? क्या कहते है विशेषज्ञ

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आखिर बच्चों को स्मार्टफोन कब देना चाहिए? यह एक ऐसा सवाल है जो आज के समय में हर माता-पिता के मन में उठ रहा है। 

हाल ही में देखा गया है कि छोटे बच्चों के जिद करने या उनके रोने पर कई माता – पिता अपने बच्चों के हाथ में कार्टून वीडियो लगाकर मोबाइल फोन दे देते है। 

जिसके बाद बच्चा तो चुप हो जाता है लेकिन धीरे धीरे बच्चा इसे अपनी आदत बना लेता है।

बच्चा कभी फोन पर वीडियोज़ स्क्रोल करता है या फिर गेम्स खेलना सीख जाता है। माता-पिता के फोन मांगने की जिद करने वाले बच्चे धीरे-धीरे अपने लिए अलग स्मार्टफोन मांगने लगते हैं।

कई बार जिद करने में बच्चे खाना-पीना तक छोड़ देते हैं।

तो बच्चों को स्मार्टफोन कब दें ?

अमेरिकी गैर-लाभकारी मीडिया संगठन नेशनल पब्लिक रेडियो (NPR) ने बच्चों को स्मार्टफोन देने की सही उम्र पर एक लेख प्रकाशित किया है।

इसमें स्क्रीन टाइम कंसल्टेंट एमिली चेरकिन ने अपने विचार रखे हैं।

एमिली कहती है कि बच्चों को स्मार्टफोन देने या सोशल मीडिया का उपयोग करने में जितनी देरी हो सके, उतना अच्छा होता है।

उन्होंने कहा, “मैं कई माता-पिता से मिलती हूं, कभी किसी माता-पिता ने नहीं कहा कि काश मैंने अपने बच्चे को फोन पहले ही दे दिया होता।

कभी नहीं। बल्कि माता-पिता कहते हैं कि काश वह थोड़ा और रुके होते।’’

तो बच्चों को स्मार्टफोन कब देना चाहिए ? इस प्रश्न का उत्तर एमिली कुछ इस प्रकार देती है

” बच्चों को स्मार्ट फोन देने की सही उम्र 18 वर्ष के बाद है क्योंकि तब तक वे अपने अच्छे – बुरे निर्णयों को लेने में सक्षम हो जाते है।”

बच्चों के लिये स्मार्टफोन क्यों है खतरनाक ?

एक और गैर-लाभकारी संगठन कॉमन सेंस मीडिया के एक सर्वे में पाया कि

  • 11 से 15 साल की 1300 लड़कियों में से 60% को अज्ञात लोगों ने स्नैपचैट पर संपर्क किया और असंयमित मैसेज भेजे।
  • 45% लड़कियों के साथ ऐसा टिकटॉक पर भी हुआ।

सोशल मीडिया इन बच्चों के लिए अनुचित साबित होता है। इसमें सेक्सुअल कंटेंट, हिंसा से जुड़ी कंटेंट, सेल्फ हार्म वाले कंटेंट शामिल हैं।

साथ ही, हर प्लेटफॉर्म पर इनबॉक्स में आने वाले अपराधिक प्रवृत्ति वाले लोग भी उमड़े पड़े हैं जो बच्चों के साथ अनुचित बातें करते हैं।

इन सबका बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिससे वे अपनी राह भटक जाते है।

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