
Sawan (सावन) महीने में भगवान शिव की आराधना करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सावन का पहला सोमवार काफी मायने रखता है और वर्ष 2023 में पहले सोमवार को गजकेसरी योग बनने से इसकी मान्यता और भी अधिक बढ़ गयी है। पुराणों में ऐसा कहा गया है कि भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है और इस महीने में जो भी इनकी आराधना सच्चे मन से करता है उसे धन, वैभव और सच्चे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। आइये जानते है कि कैसे सावन महीने में भगवान् शिव की आरधना कैसे करनी चाहिए।
Sawan में भगवान शिव की आराधना कैसे करें ?
पूरे श्रावण मास में जप, तप, और ध्यान का अद्वितीय महत्व होता है, लेकिन सोमवार का दिन बेहद प्रमुख होता है। सोमवार चन्द्र ग्रह के दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं। इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा, बल्कि भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है। जो भी व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, विवाहिता से संबंधित कठिनाइयों, या दरिद्रता से पीड़ित हो, वह सावन के हर सोमवार को भगवान शिव की पूजा करके विधिपूर्वक अर्चना करता है, तो वह सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करता है।
सोमवार और शिवजी के संबंध में आधारित ही माता पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा था। सावन के सोमवार को विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है।
#WATCH | Madhya Pradesh: Devotees queue up to offer prayers at Shree Mahakaleshwar Temple in Ujjain, on the first day of 'Sawan'. pic.twitter.com/aSGKeTIFRP
— ANI (@ANI) July 3, 2023
विवाह संबंधी रुकावटों से निजात पाये
सावन के सोमवार की पूजा बहुत महत्वपूर्ण होती है, विशेष रूप से विवाह संबंधी मामलों के लिए। अगर कुंडली में विवाह का योग नहीं हो या विवाह में अडचनें आ रही हों, तो सावन के सोमवार को पूजा करना चाहिए। यदि कुंडली में आयु या स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं हैं या मानसिक स्थितियों में कोई समस्या है, तो भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम होती है। सावन के सोमवार को शिवलिंग की पूजा की जाती है और उस पर जल और बेल पत्र अर्पित किया जाता है।
Sawan में भगवान शिव की आराधना इस प्रकार करें
प्रातः काल या प्रदोष काल में स्नान करने के बाद शिव मंदिर जाएं। घर से नंगे पैर जाएं और घर से ही लोटा में जल भरकर ले जाएं। मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें और भगवान को साष्टांग प्रणाम करें। वहीं खड़े होकर शिव मंत्र का 108 बार जाप करें। दिन में केवल फलाहार करें। सायंकाल भगवान के मंत्रों का फिर से जाप करें और उनकी आरती करें। अगले दिन पहले अन्न और वस्त्र का दान करें और तब व्रत का पारायण करें।
Sawan के सोमवार पर विशेष उपाय के तौर पर, प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करें, जहां आप बेल पत्र और जल की धारा अर्पित करें। इसके बाद शिव मंदिर में एक घी का दीपक जलाएं। इसके बाद शिवलिंग की परिक्रमा करें और शिव जी से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।