कृपया,दरवाज़ों से हट कर खड़े हों..किसकी है ये आवाज़ ?

कृपया,दरवाज़ों से हट कर खड़े हों ... किसकी है ये आवाज़ जो मेट्रो ट्रेन में आपको, सुरक्षा से सावधानी भली का मंत्र याद दिलाता रहता है ?

who i behind Delhi metro

साल 2002 में जब दिल्ली मेट्रो की सेवा शुरू की गयी थी, तो सभी के लिए ये किसी अजूबे से कम नहीं था।

क्योंकि हर किसी को दिल्ली की सड़कों के ट्रैफिक जाम और बसों के भीड़-भड़क्के की आदत पड़ चुकी थी। ऐसे में हर कोई बस किसी तरह से मेट्रो ट्रेन की यात्रा का हकदार बनना चाहता था।

लेकिन सबके सामने समस्या ये थी कि उस भीड़ -भाड़ में उन्हें उनके स्टेशन का पता कौन बताएगा ? क्योंकि बसों में तो कंडक्टर की भारी -भरकम आवाज़ ही उनकी नींद उड़ाने के लिए काफी होती थी।

लेकिन ट्रेन में पैर रखते ही तब उनके आश्चर्य की कोई सीमा नहीं थी, जब उनका बाकायदा यहां ना सिर्फ स्वागत किया गया। बल्कि उनका स्टेशन आने से पहले ही उनको उसके बारे में बता दिया जाता था। वो भी दिल को सुकून और अपनेपन का भरपूर एहसास कराते हुए।

और इस काम की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी थी ट्रेन में लगे स्पीकर्स से आती उन दो आवाज़ों को  जिन्होंने पहले दिन से ही सभी को अपना मुरीद बना लिया था — ”दिल्ली मेट्रो में आप सभी का स्वागत है। ”

जो लोग हिंदी से जुड़ाव महसूस करते थे, उनके लिए चुना गया था ‘Shammi Narang (शम्मी नारंग)’ को और जिनके कम्युनिकेशन का माध्यम English था, उनका वेलकम करने के लिए थीं  ‘Rinni Simona (रिनी सिमोन खन्ना)

कौन है shammi narang और Rinni Simona?

वैसे तो ये दोनों ही आवाज़ें हम भारतीयों के बीच किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं।

क्योंकि दूरदर्शन पर हिंदी समाचार और इंग्लिश न्यूज़ के माध्यम से हम शम्मी नारंग (Shammi Narang) और रिनी खन्ना(Rinni Simmona) को बरसों से सुनते आ रहे थे।

लेकिन ये तो सोचा ही नहीं था कि थके -हारे कदमों से जब कभी अपने घर जाने के लिए मेट्रो ट्रेन के अंदर कदम रखेंगे तो घर पहुँचने से पहले ही कोई सिर्फ कुछ शब्दों का इस्तेमाल करके, अपनी आवाज़ मात्र से ही हमारी सारी थकावट को दूर कर देगा।

अब तो हर रोज़ मेट्रो सेवा से सफर करने वाले लाखों यात्री इन दोनों की आवाज़ के इतने अभ्यस्त हो चुके हैं कि जितना इंतज़ार उन्हें अपने स्टेशन का होता है।

उतना ही इंतज़ार शम्मी और रिनी के दिशा -निर्देशों का भी रहता है।

कहाँ से हैं shammi narang और Rinni Simona?

shammi narang and rinni khanna in studio

जहां शम्मी का संबंध दिल्ली से है। वहीं रिनी का जन्म तो kerala में हुआ था लेकिन पिता के एयर फोर्स में होने के कारण स्कूली शिक्षा पूरे देश में घूम -घूम कर हुई।

और अलग -अलग कल्चरों का ये मेल -मिलाप आपको उनकी आवाज़ में भी महसूस होगा।

भले ही modulation में  कुछ कमी होने के कारण आपको उनकी अनाउंसमेंट सपाट लगे लेकिन आवाज़ की गहराई ट्रेन के सफर के साथ पूरा -पूरा न्याय करती महसूस होती है।

एक न्यूज़ एनाउंसर के तौर पर तो रिनी को काफी पहले से ही अपनी आवाज़ सुनने की आदत थी लेकिन जब दिल्ली मेट्रो के लिए उनकी आवाज़ पर आखिरी मुहर लगाई गयी, तो उन्हें खुद ही नहीं मालूम था कि ये सब कुछ कितना बड़ा था और वो इस काम के साथ किस हद तक न्याय कर पाएंगीं ?

और कहाँ सुनी जा सकती हैं Shammi Narang की आवाज़

2002 में मेट्रो सेवा शुरू होने के बाद भी रिनी ने इसे किसी भी दुसरे अनाउंसमेंट के काम से ज़्यादा नहीं समझा था। लेकिन जब उन्होंने खुद मेट्रो ट्रेन में सफर किया तो उन्हें इसकी इम्पोर्टेंस और अपनी लोकप्रियता का अंदाजा हुआ।

साथ ही उन्हें पहली बार ये महसूस हुआ कि मेट्रो ट्रेन के इन बंद डब्बों में गूँजती उनकी आवाज़ हमेशा के लिए अमर बना दी गयी थी।

पर अगर रिनी खन्ना की आवाज़ मेट्रो सेवा की female voice का चेहरा हैं  तो (Shammi Narang) शम्मी नारंग को भी आवाज़ की दुनिया का जादूगर माना जाता है और इस आवाज़ का जादू हम हर रोज़ हिंदुस्तान की हर मेट्रो ट्रेन में दिन -रात सुन भी सकते हैं।

यहां ख़ास तौर से दिल्ली मेट्रो का नाम नहीं लिया गया है क्योंकि हिन्दुस्तान की हर मेट्रो ट्रेन में चाहे वो गुरुग्राम, जयपुर या फिर मुंबई मेट्रो ही हो शम्मी नारंग की आवाज और मेट्रो ट्रेन के सफ़र को एक दूसरे का पर्याय माना जाने लगा है।

बात सिर्फ मेट्रो स्टेशन बताने की ही नहीं है। अगर आप देर रात सफर करने वालों से पूछेंगे तो वो भी आपसे यही कहेगा कि इन आवाज़ों की वजह से ही ट्रेन में अकेले यात्रा करने पर भी अकेलेपन का डर नहीं लगता।

सिर्फ हिंदी ही नहीं कई ऐसी  जगहों पर, जहां उर्दू भाषा को भी अनाउंसमेंट का हिस्सा बनाया गया है, वहाँ भी शम्मी नारंग के शब्दों के कमाल के उच्चारण को सुना जा सकता है।

वैसे सिर्फ मेट्रो ही नहीं बल्कि कई heritage monuments  जैसे जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, मिसरे आदि जगहों की ऑडियो गाइड्स में भी शम्मी जी की आवाज़ का ही इस्तेमाल किया गया है।

shammi narang Education

शायद ये बात कम ही लोग जानते होंगें कि शुरू-शुरू में शम्मी नारंग को खुद भी अपने इस टैलेंट का अंदाजा नहीं था।

इसलिए ज़िन्दगी में कुछ बनने का इरादा लेकर जब वो IIT दिल्ली में किताबों के साथ दिन -रात एक करने में लगे हुए थे।तो एक दिन कैंपस ऑडिटोरियम के माइक्रोफोन टेस्टिंग में United States Information Service के technical director ने 19 साल के IIT स्टूडेंट शम्मी नारंग (shammi narang) की आवाज़ सुनी और सुनते ही उनकी इस बेजोड़ प्रतिभा को पहचान लिया।

उसके बाद तो कभी भी उनको पीछे मुड़ कर देखने की ज़रुरत नहीं पड़ी। सफलता के एक – एक पायदान पर चढ़ते हुए पहले उन्होंने Voice of America के हिंदी devision का काम -काज संभाला, विभिन्न advertisements में अपनी आवाज़ दी

पर उनके करियर के लिए 1982 का साल मील का पत्थर साबित हुआ जब उन्हें 1000 लोगों के बीच से दूरदर्शन में समाचार उद्घोषक की नौकरी के लिए चुना गया।

लेकिन जब 2002 में दिल्ली मेट्रो के लिए उनके नाम का प्रस्ताव पास किया गया। तो पहले तो उन्हें भी काफी आश्चर्य हुआ।

क्योंकि इतने सालों से समाचार पढ़ते रहने के कारण उन्हें लग रहा था कि पता नहीं इस तरह के प्रोजेक्ट में वो लोगों को अपने साथ जोड़ भी पाएंगे या नहीं ?

लेकिन उनकी ये साड़ी शंकाएं तब बेवजह साबित हो गयीं। जब लोगों ने पहले ही दिन से उनको अपने सफर का सबसे अटूट साथी मान लिया।

लेकिन  इसी के साथ वो लगातार ही अपनी आवाज़, भाषा, शब्दों की सफाई और उनके उच्चारण पर भी काम करते रहे।  यहां तक कि इतने बरसों के बाद भी आज तक उन्होंने अपनी इस आदत को नहीं छोड़ा है। जिस तरह से एक गायक अपने गायन का रियाज़ करना कभी नहीं भूलता उसी तरह से शम्मी भी बढ़ती उम्र का असर अपनी आवाज़ पर ना होने देने के लिए हर दिन उसे और बेहतर बनाने में लगे रहते हैं।